भगवान श्री राम से जुड़े 11 अनजाने तथ्य जो आपको जरुर जानने चाहिए

श्री राम : भगवान श्री राम अयोध्या के राजा दशरथ और  कौशल्या के पुत्र थेै। भगवान श्री राम का जन्म “रामनवमी” के दिन  हुआ थाै। रामायण की रचना सर्वप्रथम महर्षि वाल्मीकि जी ने कीै। जिसके बाद विभिन्न भाषाओं में रामायण की रचना की गई  है जिसमें तुलसीदास कृत ओर “रामचरितमानसराम” सबसे प्रसिद्ध हैै।

श्री ram

 

 1. भगवान विष्णु के सातवें अवतार।

 भगवान विष्णु के 10 अवतारों में 7वां अवतार श्री राम का माना जाता हैl भगवान श्री राम से पहले भगवान विष्णु ने ये अवतार लिये थे। मत्स्य (मछली), कूर्म (कछुआ), वराह (सूअर), नृसिंह (मनुष्य एवं सिंह), वामन (बौना) और परशुराम के रूप में जबकि बाद में कृष्ण, बुद्ध और कल्कि के रूप में अवतार लिया थाl भगवान विष्णु ने पाप का नाश करने के लिये अनेक अवतार लिया है।

2. सबसे पुराने मानवीय देवता

श्री राम को धरती पर पूजे जाने वाले सबसे पुराने देवता में से एक माना जाता है, ओर श्री राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था।त्रेता युग की समाप्ति आज से 1,296,000 साल पहले ही हो चुकी  हैl त्रेता युग में विष्णु भगवान ने श्री राम के अलावा भगवान वामन और भगवान परशुराम के रूप में अवतार लिया l

3. भगवान राम भगवान सूर्य के वंशज

श्री राम का जन्म “इक्ष्वाकु” वंशज में हुआ था जिसकी स्थापना भगवान सूर्य के पुत्र “राजा इक्ष्वाकु” ने की थीl जिससे श्री राम को सूर्यवंशी भी कहते है।

4. भगवान विष्णु का 394वां नाम “राम”था

विष्णु सहस्रनाम नाम की पुस्तक में भगवान विष्णु के एक हजार नामों की सूची बताई  हैlउस सूची में श्री“राम” भगवान विष्णु का 394वां नाम बताया गया हैl

5. भगवान राम का नामकरण

भगवान श्री राम का नामकरण रघुवंशियों के महा गुरू महर्षि वशिष्ठ ने किया l वशिष्ठ के अनुसार “राम” शब्द दो बीजाक्षरों “अग्नि बीज” और “अमृत बीज” से मिलकर बना हैl ये अक्षर दिमाग, शरीर और आत्मा को शक्ति प्रदान करते हैं।
 

6. राम नाम का तीन बार उच्चारण हजारों देवताओं को स्मरण करने के समान माना गया है

 
महाभारत में कहा गया है कि एक बार भगवान शिव ने कहा था कि राम का नाम तीन बार स्मरण करने से हजार देवताओं के नामों का समरण करने के बराबर माना गया हैl आपको यह इस बात का पता नही होगा कि भगवान शिव भी ध्यानावस्था में भगवान राम के नाम का ही जाप करते हैंl

8. राम सेतु का निर्माण एवं लम्बाई

राम सेतु का निर्माण वानर सेना दुवारा बनाया गया है,ये सेतु तमिलनाडु के रामेश्वरम से शुरू होकर श्रीलंका के मन्नार तक बनाया गया हैl इस पुल के मुख्य नयाधिश नल” और “नील” थेl इस पुल की लंबाई लगभग 30 किलोमीटर है और इसको बनवाने में 6 दिन लगा थाl

9 माता सीता का पृथ्वी में समाहित होना

ऐसा माना जाता है कि जब सीता ने पृथ्वी के अन्दर समाहित होकर अपने शरीर का परित्याग किया था। तो उसके बाद राम ने सरयू नदी में जल में समाधि लेकर पृथ्वीलोक का परित्याग कर दिया था|
भगवान श्री राम ने सभी के लिए जीवन जीने हेतु सही रास्ते का आदर्श प्रस्तुत किया हैl रामनवमी के दिन भगवान श्री राम का जन्म उत्सव मनाया जाता है।और भगवान राम की पूजा की जाती है। इसलिये  रामनवमी हम सब भगवान राम के महान आदर्श को अपनी जिन्दगी में अपनाएं और उनके आशीर्वाद से अपना जीवन सफल ओर आनंदमय बनाएंl

9.रामायण काल के ये लोग आज भी जिंदा है।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रामायण काल के तीन लोग आज भी जिंदा है। इका नाम है हनुमान, जामवंत और विभिषण। इनके काल के पूर्व के दो लोग भी आज तक जिंदा है। उनके नाम हैं- विरोचन पुत्र महाबली और जमदग्नि के पुत्र परशुराम।

10. श्रीराम की 2 बहन भी थी

श्रीराम की दो बहनें थी एक शांता और दूसरी कुकबी। हम आपको शांता के बारे में बताएंगे। दक्षिण भारत की रामायण के अनुसार श्रीराम की बहन का नाम शांता था, जो चारों भाइयों से बड़ी थीं। शांता राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं, लेकिन पैदा होने के कुछ वर्षों बाद कुछ कारणों से राजा दशरथ ने शांता को अंगदेश के राजा रोमपद को दे दिया था। भगवान श्रीराम की बड़ी बहन का पालन-पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने किया, जो महारानी कौशल्या की बहन अर्थात श्रीराम की मौसी थीं।

11.गौतम बुद्ध के पूर्वज राम

वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे। जिनमे से एक इक्ष्वाकु के कुल में रघु हुए। रघु के कुल में भगवान श्री राम हुए। राम के पुत्र कुश हुए थे।कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए जिन्होंने महाभारत के समय में कौरवों की ओर से युद्ध किया था। शल्य की 25वीं पीढ़ी में सिद्धार्थ हुए थे जो शाक्य के पुत्र शुद्धोधन के बेटे थे। इन्हीं का नाम आगे चलकर गौतम बुद्ध पड़ा। यह नेपाल के लुम्बिनी में रहते है। सिद्धार्थ के बाद राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। जयपूर राजघरा की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग की भगवान श्री राम के पुत्र कुश के वंशज है। महारानी पद्मिनी ने अंग्रेजी चैनल में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंश थे।
 
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